राजभाषा अधिनियम 1963 की धारा 3(3) का विस्तृत विवरण
राजभाषा अधिनियम 1963 की धारा 3(3) का विस्तृत विवरण
धारा 3(3) के अनुसार, केंद्र सरकार के अधीन सभी कार्यालयों को कुछ विशेष दस्तावेजों को हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में अनिवार्य रूप से जारी करना आवश्यक है। इसका उद्देश्य प्रशासन में पारदर्शिता बनाए रखना और देश के हिंदी तथा गैर-हिंदी भाषी नागरिकों तक समान रूप से सूचना पहुंचाना है।
अनिवार्य द्विभाषी दस्तावेज (14 प्रकार):
इस धारा के अंतर्गत निम्नलिखित दस्तावेजों को हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों में जारी किया जाना अनिवार्य है:
संकल्प (Resolutions)
सामान्य आदेश (General Orders)
नियम (Rules)
अधिसूचनाएं (Notifications)
प्रशासनिक और अन्य रिपोर्टें (Administrative & Other Reports)
प्रेस विज्ञप्तियां (Press Releases)
संसद में प्रस्तुत किए जाने वाले कागज़-पत्र (Documents laid before Parliament)
संविदाएं (Contracts)
करार (Agreements)
अनुज्ञप्तियां (Licenses)
अनुज्ञापत्र (Permits)
निविदा सूचनाएं (Tender Notices)
निविदा प्रपत्र (Tender Forms)
संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखे जाने वाले अन्य सरकारी दस्तावेज
जारी करने की जिम्मेदारी:
इन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने वाले अधिकारी की जिम्मेदारी होती है कि वह सुनिश्चित करें कि दस्तावेज़ द्विभाषी रूप में (हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों में) तैयार और जारी किए जाएं।
अनुपालन में लापरवाही करने पर अधिकारी उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।
उद्देश्य:
हिंदी को शासकीय कार्यों में बढ़ावा देना
भाषिक समावेशन सुनिश्चित करना
सभी नागरिकों को सरकारी सूचनाओं तक समान पहुंच देना
प्रशासनिक पारदर्शिता बनाए रखना
अनुपालन और व्यवस्था:
राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय समय-समय पर निर्देश, प्रशिक्षण कार्यक्रम, मानक प्रारूप और प्रोत्साहन योजनाएं जारी करता है, ताकि धारा 3(3) के अनुपालन को सुदृढ़ किया जा सके। इसमें शामिल हैं:
कर्मचारियों को हिंदी में कार्य करने हेतु प्रोत्साहन
टेम्पलेट्स और प्रारूपों की व्यवस्था
विभागीय राजभाषा समितियों द्वारा निरीक्षण
नोट:
धारा 3(3) में जहाँ द्विभाषिकता अनिवार्य की गई है, वहीं किस प्रयोजन के लिए केवल हिंदी का उपयोग किया जाना है, यह राजभाषा अधिनियम, राजभाषा नियम 1976, और राजभाषा विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुसार तय किया जाता है।