हिंदी को ही राजभाषा का दर्जा क्यों दिया गया?
भारत एक बहुभाषी राष्ट्र है। यहाँ हिंदी सहित कई भाषाओं की समृद्ध परंपरा है। इन सभी भाषाओं में हिंदी ही एकमात्र ऐसी भाषा है जो सभी भाषा-भाषियों के बीच सेतु का कार्य करती है। हिंदी बोलना, समझना, पढ़ना और लिखना अपेक्षाकृत सरल है।
सुभाषचंद्र बोस, महात्मा गांधी, काका कालेलकर, सुब्रह्मण्यम भारती, गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर, बाल गंगाधर तिलक, सरदार भगत सिंह, सी. राजगोपालाचारी जैसे अनेक महान जननायकों ने हिंदी को राष्ट्रहित की भाषा माना और इसे सर्वव्यापी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इसलिए हिंदी को राजभाषा न बनाए जाने का प्रश्न ही नहीं उठता था। इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
♦ हिंदी को राजभाषा बनाए जाने के मुख्य कारण
हिंदी पूरे भारत में बोली और समझी जाती है, जबकि अन्य भाषाएं क्षेत्रीय स्तर तक सीमित हैं।
हिंदी को सभी वर्गों का मुक्त समर्थन मिला, यह किसी वर्ग, जाति या समुदाय तक सीमित नहीं रही।
हिंदी में अभिव्यक्ति की क्षमता अत्यंत समृद्ध है, यह साहित्य, विज्ञान, प्रशासन, तकनीक सभी क्षेत्रों में उपयोगी है।
हिंदी में संचित ज्ञान के अध्ययन-अध्यापन की परंपरा यूरोप तक फैली, कई विदेशी विद्वानों ने भी हिंदी सीखी और उस पर शोध किया।
हिंदी अन्य भारतीय भाषाओं के विकास में सहयोगी रही है, जबकि अंग्रेजी ने उन्हें दबाया।
हिंदी अपनी लेखन शैली और व्याकरणिक संरचना में संस्कृत के सर्वाधिक निकट है, जो इसे भारतीय भाषाओं की परंपरा से जोड़ता है।
देवनागरी लिपि वैज्ञानिक दृष्टि से सर्वाधिक उपयुक्त मानी जाती है। इसके अक्षर स्पष्ट, संतुलित और स्वस्थ आकार वाले होते हैं। यह लिपि संस्कृत के कारण विश्वव्यापी भी है।
हिंदी राष्ट्रीय आंदोलन का प्रमुख माध्यम रही है। स्वाधीनता संग्राम में यह संपर्क भाषा के रूप में प्रयुक्त हुई और जनता को एक सूत्र में बांधने का कार्य किया।
भारत में हिंदी बोलने वालों की संख्या सर्वाधिक है। लोकतंत्र में शासक और शासित की भाषा एक होनी चाहिए — यह सिद्धांत हिंदी के पक्ष में जाता है।
भारतीय भाषाओं के पत्र-पत्रिकाओं में हिंदी संस्करण सबसे लोकप्रिय रहे हैं। जैसे — हिंदी बंगवासी, भारत मित्र, उदंत मार्तंड, सरस्वती, विशाल भारत, आज आदि ने राष्ट्रीय चेतना का जागरण किया।
अन्य भाषाओं का प्रचार-प्रसार भी हिंदी के अनुवाद के माध्यम से बढ़ा।
इन सभी कारणों से यह स्पष्ट होता है कि हिंदी को ही राजभाषा बनाए जाने का पूर्ण अधिकार था। अतः संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को हिंदी को भारत की राजभाषा घोषित किया।