राजभाषा अधिनियम 1963 क्या है?
राजभाषा अधिनियम 1963 (The Official Languages Act, 1963) भारत की एक महत्वपूर्ण संवैधानिक व्यवस्था है, जो केंद्र सरकार के कामकाज में हिंदी और अंग्रेज़ी के उपयोग को विनियमित करती है। यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 343 और 344 के तहत पारित किया गया था।
🟠 राजभाषा अधिनियम 1963 क्या है?
राजभाषा अधिनियम 1963 यह स्पष्ट करता है कि:
हिंदी को भारत की संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया है।
अंग्रेज़ी भाषा का उपयोग, संघ सरकार द्वारा, हिंदी के साथ-साथ आधिकारिक कार्यों के लिए तब तक जारी रहेगा जब तक कि सभी राज्य हिंदी को अपनाने पर सहमत नहीं हो जाते या संसद द्वारा अन्यथा कोई व्यवस्था नहीं की जाती।
यह अधिनियम संसद, केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और नागरिकों के बीच संप्रेषण की भाषा के नियम तय करता है।
🔵 राजभाषा अधिनियम क्यों लाया गया?
🔹 पृष्ठभूमि (Background):
भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, जिसमें अनुच्छेद 343 के अनुसार हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया था।
लेकिन इसे लागू करने में कठिनाइयाँ थीं क्योंकि देश में अनेक भाषाएँ प्रचलित थीं और अंग्रेज़ी का व्यापक उपयोग हो रहा था।
संविधान ने हिंदी के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए 15 वर्षों की संक्रमणकालीन अवधि (1950–1965) दी, ताकि इस बीच अंग्रेज़ी से हिंदी में स्थानांतरण हो सके।
जब 1965 नज़दीक आया, गैर-हिंदी भाषी राज्यों, विशेषकर दक्षिण भारत (जैसे तमिलनाडु) में विरोध शुरू हुआ कि हिंदी थोपने की कोशिश की जा रही है।
इन विरोधों को देखते हुए राजनीतिक और सामाजिक संतुलन बनाए रखने के लिए यह अधिनियम लाया गया।
🟢 राजभाषा अधिनियम 1963 के मुख्य प्रावधान:
अनुभाग | विवरण |
---|---|
Section 3 | केंद्र सरकार अपने कार्यों में हिंदी के साथ-साथ अंग्रेज़ी का भी उपयोग कर सकती है। यानी, अंग्रेज़ी के प्रयोग को समाप्त नहीं किया जाएगा। |
Section 5 | केंद्र और हिंदी न बोलने वाले राज्यों के बीच अंग्रेज़ी में संप्रेषण किया जाएगा। |
Section 6 | हिंदी भाषी राज्य आपस में हिंदी में पत्राचार कर सकते हैं। |
Section 7 | केंद्र सरकार, चाहे तो हिंदी भाषी राज्यों के साथ हिंदी में पत्राचार कर सकती है। |
Section 8 & 9 | संसद की कार्यवाहियों, विधेयकों, अधिनियमों आदि के लिए हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में प्रकाशन अनिवार्य है। |
🔴 राजभाषा नियम 1976:
1963 के अधिनियम के क्रियान्वयन हेतु 1976 में “राजभाषा नियम” बनाए गए, जिसमें कहा गया कि:
सरकार के सभी विभागों में 3 क्षेत्रों (A, B, C) के अनुसार हिंदी का प्रयोग सुनिश्चित किया जाए।
हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए हर विभाग में राजभाषा विभाग व राजभाषा समिति गठित की जाए।
🔸 महत्व और प्रभाव:
यह अधिनियम हिंदी को संवैधानिक रूप से मान्यता देता है, लेकिन गैर-हिंदी भाषियों की भावनाओं का भी सम्मान करता है।
भारत में भाषिक विविधता को देखते हुए एक संतुलन बनाता है।
यह अधिनियम सुनिश्चित करता है कि राजभाषा हिंदी का प्रयोग बढ़े, पर किसी पर थोपा न जाए।
✳️ निष्कर्ष (Conclusion):
राजभाषा अधिनियम 1963 भारत के भाषिक लोकतंत्र का प्रतीक है। यह अधिनियम दिखाता है कि भारत जैसे बहुभाषी राष्ट्र में सभी भाषाओं के प्रति सम्मान रखते हुए हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा कैसे दिया जाए।